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19:19, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>प्यार की बात कर.
रार की बात कर.
फूल की कर कभी,
खार की बात कर.
है जो हिम्मत, तो मत
भार की बात कर.
जीतना है, न तू
हार की बात कर.
अब न संयम दिखा,
वार की बात कर.
खिडकियों की नहीं,
द्वार की बात कर.
कर न तलवार की,
धार की बात कर.
व्यर्थ की क्यों करे,
सार की बात कर.
पार जाना है तो,
पार की बात कर.
</poem>