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19:49, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>बोलो क्या मुझसे प्यार करते हो.
इश्क पर ऐतबार करते हो.
दोस्त,परिचित,अजीज़ या अपने,
मुझको किसमें शुमार करते हो.
इक न इक वादा रोज़ करके तुम,
खुद पे कितना उधार करते हो.
जिसके बारे में खाते हो कसमें,
वो ही क्यों बार-बार करते हो.
यों ही मैं बेक़रार हूँ कितना,
और क्यों बेक़रार करते हो.
मानता हूँ कि पाक दामन हो,
आज क्यों दागदार करते हो.
</poem>