Changes

दोऊ गल बाहीं दिये / प्रेमघन

853 bytes added, 09:58, 30 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दोऊ गल बाहीं दिये ठाढ़े जमुना तीर।
मंगलमय प्रातहि उठे राधा श्री बलबीर॥
राधा श्री बलबीर दोऊ दुहुँ रस अनुरागे।
झँपत पलक द्रिग अरुन भये घूमत निशि जागे॥
बद्री नारायन छुटि कच शुभ राजत सोऊ।
चुटकी दै जमुहात खरे अरसाने दोऊ॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits