Changes

प्रार्थना - 3 / प्रेमघन

1,005 bytes added, 05:43, 3 फ़रवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
पालै जग सकल सदाहीं जगदीस जोई,
::सिरजत सहजहीं त्यों चाहि चित छन मैं।
दूध दधि चाखन को जाँचै ग्वालनीन ढिग,
::नाचै दिखराय रुचि रंचक माखन मैं॥
प्रेमघन पूजत सुरेस औ महेस सिद्धि,
::नारद मुनीस जाहि ध्यावैं सदा मन मैं।
गोकुल मैं सोई ह्वै गुपाल गऊ लोक वासी,
::गैयन चरावत बिलोको वृन्दावन मैं।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits