829 bytes added,
07:22, 22 फ़रवरी 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
चंचला चोखी कृपान बनी,
::अवली बगुलान की सैन रही जुर।
सारँग सारँग है सुर नायक,
::जय धुनि दादुर मोरन को सुर॥
वे घन प्रेम पगीं विरहीन पैं,
::व्याज लिये बरसा अति आतुर।
आवत धावत वीरता वारि,
::भरे बदरा ये अनंग बहादुर॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader