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07:28, 22 फ़रवरी 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
बनी बर्षा की बहार बिलोकिबै,
::काज अटान चढ़ी वह बाल।
दबी दुति दामिनि देखत दीपति,
::सुन्दर देंह लजाय कमाल॥
उदय घन प्रेम करै मुख मंडल,
::सोहत सूहे दुकूल रसाल।
लखौ जनु घेरि लियो चहुँ ओर सों,
::चन्द अमन्दहि नीरद लाल॥
</poem>
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