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रेख़ते के बीज / कृष्ण कल्पित
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23:16, 28 मई 2016
एक जीर्णशीर्ण शब्दकोष इससे अधिक क्या कर सकता है कि वह मुसीबत के दिनों में मनुष्यता के लिए एक प्रार्थना बन जाए, भले ही वह अनसुनी रहती आई हो।
'''कृष्ण कल्पित की यह अद्भुत कविता सम्बोधन के समकालीन युवा कविता विशेषांक
(2010)
में छपी।'''
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अनिल जनविजय
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