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दादी / अमरेन्द्र
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03:17, 10 जून 2016
बोली बोलै रुकी-रुकी
कोसो बूलै झुकी-झुकी
दादी माय केॅ सूझै कम
ई बातोॅ केॅ बूझै कम ।
</poem>
Rahul Shivay
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