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विलेखित स्वप्न / अमित कल्ला
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00:38, 10 जुलाई 2016
मावस की रात,
तोपों से चिपकी
अफ़ीम की दोपहर ,
शब्दरहित गीला-गीला-सा
लीलामय लोक,
अनिल जनविजय
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