भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विलेखित स्वप्न / अमित कल्ला

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अधिक देखना हो
तो
बुराँश के फूल,
महौषध कच्ची-कच्ची इलायची,
राजतामय
बदल वन देखें,

पहाड़ी पर लेटी
मावस की रात,
तोपों से चिपकी
अफ़ीम की दोपहर,
शब्दरहित गीला-गीला-सा
लीलामय लोक,
विलेखित स्वप्न
और अतृप्त
गर्वीला घुमाव देखे,

अधिक देखना हो
तो
अन्धे समुद्र का
जोगिया रंग देखें।