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पहाड़ी गीत / अनिल कार्की
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04:16, 10 अगस्त 2016
आदमी की तरह पड़ती है
हालाँकि भ्यासपन<ref>
.
सहजता (भावार्थ)</ref> में ही छिपा है उसका सौन्दर्य
जो बोलता नहीं
दिखता है
अनिल जनविजय
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