Changes

मुख - 2 / प्रेमघन

844 bytes added, 16:28, 20 अगस्त 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
प्रभात जम्हात उठी अँगिराय,
::उठाय दोऊ कर पुंज उदोति।
मिली जुग पंचन की अँगुरी भुज,
::मध्य उगी मुख की जगि जोति॥
रसै बरसै रमनी घन प्रेम,
::सुधा सुखमा की बनी मनो सोति।
किधौं जनु दामिनि मंडल ह्वै,
::ससि घेरत कैसी सुसोभित होति॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits