Changes

वाही घरी तें न सान रहै / दास

15 bytes added, 22:53, 15 सितम्बर 2016
|रचनाकार=दास
}}
{{KKCatChhand}}
<poem>
वाही घरी तें न सान रहै,न गुमान रहै,न रही सुघराई.
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,151
edits