गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
करिया के सुध म / मुरली चंद्राकर
1,367 bytes added
,
17:04, 24 अक्टूबर 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुरली चंद्राकर |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुरली चंद्राकर
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
तोर सुरता में धुनेल भैगे करिया
मोला अलिन-गलिन में सुनेल भैगे करिया
सरी मझानियाँ डहर लागे सुन्ना
पाछू परे बैरी छैहा डरेल भैगे करिया
सुध के बुध में गयेंव मैं नरवा तिर में
आभा मारथे चिरैया गुनेल भैगे करिया
नरवा झिरिया झुखागे मिठलबरा
मोला आंखी के आँसू पियेल भैगे करिया
निठुर मयारू जोड़ी होगे परबुधिया
कौने गली बिलमाये जोहे ल भैगे करिया
तिरिया के पिरिया में किरिया समागे
मुड़ बोझा होगे झौहाँ थेम्हेल भैगे करिया
जियत मरत के मयारू-मन-बोधना
जैसे तेल बिना बाती जरे ल भैगे करिया
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits