Changes

खण्ड-1 / आलाप संलाप / अमरेन्द्र

1 byte removed, 09:35, 25 दिसम्बर 2016
नींद तुम्हारी, स्वप्न तुम्हारे, चिन्ता घोर अघोर
इसीलिए कुछ लिखने से मैं क्यों रोकूंगा तुमको
कलाकार के हाथों में हैµधरे है धरे काल को, यम को
लेकिन यह भी बात सही है, कविता कठिन विधा है
तुम इसमें मारोगे बाजी, मुझको यह दुविधा है
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits