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मंय हा छानी ला छावत हंव, ताकि मुंदाय जतिक हे छेदअइसन मं पानी हा गिरिहय, तब ले घर अंदर नइ जाय।”“बेटी, काम करत हस उत्तम, पर शंका ब्यापत हे एक-यदि छानी पर तोला देखत, मनसे मन हा कहहीं काय?”“मनसे मन हा इही बोलिहंय- “अंकालू के टूरी एकओहर छानी पर बइठिस अउ, करत रिहिस खपरा ला ठीक।ददा, तंय अड़बड़ झन सोचे कर, मनसे मन हा बोलत कायमिहनत कर सुख लाभ ला पावन, पर ला देन मदद सुख चैन।”“मंय हा तोर ले हरदम हारत, तंय बइला ला नहवा लेतगाय के दूध ला घलो दूहथस, कठिन काम तक करथस पूर्ण।अच्छा, नीचे तुरुत उतर तंय, मोला लगत भयंकर भूखजउन पकाय परस मंय खाहंव, सहना कठिन नींद अउ भूख।”दुखिया हा नीचे उतरिस तंह, पिनकू के मां कोदिया अैसदुखिया ओकर स्वागत करथय -“मौसी, आज आय तंय ठीक।मगर काम बिन कोन हा आवत, अगर तोर कुछ अटके काममोर पास तंय सच सच फुरिया, तोर जरुरत होही पूर्ण।”कोदिया बोलिस- “सच पूछत हस, तब बतात मंय निश्छल बातमोर पास हे एक ठक बखरी, उहां लगाय चहत हंव साग।मोर पास नइ तुमा करेला, ना बरबट्टी तुरई के बीजसब तिर पारे हंव गोहार मंय, पर लहुटे हंव रीता हाथ।हारे दांव तोर तिर आएंव तंय सब साद पुरोबे।जउन जिनिस बर इहां आय हंव तिंहिच मदद पहुंचाबे।दुखिया किहिस -“प्रशंसा झन कर, बिगड़ जहय आदत हा मोरतंय हा साग के बीजा मांगत, तोर हाथ पाहय सब चीज।”दुखिया हा कोदिया ला संउपिस, सबो साग के ठोसलग बीजकोदिया किहिस -“बता तंय कीमत, एकर कतरा रुपिया देंव?”दुखिया कथय -“लेंव नइ रुपिया, जहां साग हा फरिहय खूबमंय चोराय बर बारी जाहंव, करिहंव उहां चोराय के काम।तंय मोला टकटक देख लेबे, मगर क्षमा करबे सब दोषखूब साग ला टोरन देबे, कीमत हा हो जहय वसूल।”“तंय हो गेस अटल युवती पर, बचपन के चंचलता शेषनवा आदमी धोखा खाही- दुखिया हवय निर्दयी क्रूर।पर मंय तोर नेरुवा तक जानत, तोर नहीं मं हे स्वीकारछिपे क्रोध मं सहृदयता हा, छिपे घृणा मं आदर स्नेह।”कोदिया साग के बीजा ला धर, उहां ले रेंगिस मन संतोषअंकालू हा दुखिया ला कहिथय- “तोर बहुत झन रिश्तेदार।लहुट जथय तोर मौसी हा तंह, गप ले आथय मामी तोरमामी लहुटत स्वार्थ सिधो के, तुरुत तोर काकी हा आत।आखिर कतका हें संबंधी, गिनती करा गणित ला जोड़गांव मं जतका बुढ़ूवा बुजरुक, जमों आंय तोर रिश्तेदार ”दुखिया किहिस- “तिंही बोले हस बुजरुक मन ला आदर देवतब सब ला प्रणाम करथंव मंय, उंकर ले मंगथंव आशीर्वाद।”अंकालू ला भूख हा ब्यापत, दुखिया परसिस भोजन शीघ्रअंकालू हा जेवन नावत, बड़े कौर धर आंख पंड़ेर।इही बीच मं दुखिया बोलिस -“लड़त फकीरा अउ सोनसायउंकर विवाद सुने हस तंय हा, आखिर मं का निर्णय होय?”अंकालू बोलिस -“का होहय-उहिच होय जे निश्चय पूर्वयाने सबल ले निर्बल हारत, कपटी ले निश्छल के हार।मोतीखेत फकीरा के सुन, पर सोनू के हक लग गीसआज धनी ले दीन हार गिस, हम बोकबोक देखत रहि गेन।”“तुन जानत अन्याय हा होहय, फिर काबर मुड़ नावत व्यर्थ!अन्यायी के मदद करत तुम, तुम्हर घलो हे नंगत दोष।”“अगर अपन घर लुका के रहिबो, कभु अन्याय खत्म नइ होयहम ओ जगह मं खत्तम जाबो, गलत न्याय अउ अत्याचार।अन्यायी के काम जांचबो, तौल तौलबो ओकर शक्तिलगही पता पोल दुर्बलता, उही ला कहिबो पास तुम्हार।निपटे के उपाय ला सुनिहव, अनियायी संग करिहव युद्धथोथना भार उलंडही दुश्मन, युद्ध मं तुम्हर निश्चय जीत।”“ददा, तंय बतावत हस ठंउका, झप नइ मिलय ठिंहा उद्देश्यकई पीढ़ी हा आहुति देथय, भावी हा अमरत उद्देश्य।”“अब मोला विश्वास तोर पर, तंय चुन सकत स्वयं के राहजइसे मछरी के पीला मन, तउरे बर सीखत हें आप।”“हां, अब चर्चा बंद करन हम, शांति साथ तुम जेवन लेवसमय शांत हो- बहस होय झन, आत अनंद देह ला लाभ।”अंकालू हा जेवन नावत, मुंह मं लेगत सरलग कौंरबस जेवन तक ध्यान ला राखत, बुद्धि जात नइ दूसर ओर।बछर हा जइसे क्रमशः बढ़थय, घंटा पहट दिवस सप्ताहहोगिस खतम धान के बांवत, कृषक धरत भर्री के राह।कोदो बीज मं मिला अमारी- तिली बाजरा मूंग उरीदपटुवा खमस मिंझार छींच दिन, चलत हवय जस जुन्ना रीत।एकर बाद मं नांगर जोंतिन, हांक दून आंतर नइ होतजलगस अंड़े बुता नइ उरकिस, मारन कहां सकत गप गोठ!धान जाम के कुछ अउ सरकिस, हर्षित होत कृषक हा देखदूबी कांद हेर के फटकत, बिरता ला पहुंचय झन हानि।ददा अपन बेटा ला पालत, करथय उदिम भविष्य बनायकृषक चिभिक कर खेत सजावत, सनसन उठय फसल के बाद।अपन खेत मं गीस गरीबा देखत धान के पौधा।ओमन बढ़त सनसना तंहने होत प्रसन्न गरीबा।
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