गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था / कुमार मुकुल
13 bytes added
,
08:44, 10 जनवरी 2017
}}
<poem>
यह लिखते
कितनी शर्म आएगी
कि मैंने
अपनी गलतियों से
सज़ा-धजा।
</poem>
Kumar mukul
765
edits