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आँख्याँ बहरी है डूंगर री चोटी परां चढ़ कान आँधा है. आ ही भली हुई ! नहीं कीढ़ी नीचै देख्यों तो देखै जिया हाथी बकरी जतो र ऊँट सुसियै जतो क ही सुणलै लाग्यो। कीड़ी घणी राजी हू सुणै जिया बोली-अबै को डरूँ नीं। बैम स्यूं ही देख लै क बड़ाळ दीखै हा।खाथी खाथी चाल र नीचै आई तो परळै हूँता के ताळ ळागै फेरूँ हाथी डूंगर जतो र ऊँट हाथी जतो क ही दीख्यो। घबड़ा र डूंगर नै पूछयो, चनेक में ही ओ फरक पाछो किंयाँ पड़ग्यो ?डूंगर मुळक'र बोल्यो — पैली आंख्यां थारी पण पग म्हारा हा, अबै आंख्यां अर पण दोन्यूं थारा निज रा है।
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