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नानकी री मा कयोपिणघट पराँ पड़ी ठीकरी पूछ्यो-आज आखा तीज घड़ा मनै ओळखै है, नानकी रो नाक बिंदादयो सोनै री बाळी पिरास्यूं।के ? नानकी रो दादो सुण र बोल्यो-भली याद लिराई टोडियै रो नाक ही बिंदवाणूं हो। चाँदी री गिरवाणाँ करायोड़ी पड़ी है। थोड़ी ताळ पछै ही नानकी सुनार कनैं बैठी कान बिंधवावै बीच में हीपिणयारी अणख‘र बोली -सारै ऊभी नानकी री मा कयोपैली मूंडो छाणाऊँ रगड़‘र आ-पीड़ हुवै तो रोई जे मत तनैं सोनै री बाळी पिरा देस्यूं ! कनैं ही बाखळ अत्तै में गोडा बाँध‘र पटक्योड़ो टोडियो नाक बिंधावतो पीड़ स्यूँ कोजो अरडावै हो। सारै ऊभी सांढ़णी (टोडियै री मा) आ कही जकी तो देखी‘क तनै चाँदी री गिरबाणाँ पिरासी उल्टी टोडियै स्यूँ ही घणी अरडाण लागगी !ठोकर लागी‘र घड़ो फूटग्यो ठीकरी ठीकरयाँ स्यूं जा मिली।
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