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प्रेम साहिल के नाम / कांतिमोहन 'सोज़'
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12:47, 2 अप्रैल 2017
घुप अन्धेरा चारसू है सोज़ लेकिन फ़ितरतन<ref>स्वाभाविक रूप से</ref>
क़तराक़तरा
क़तरा-क़तरा
नूर<ref>प्रकाश</ref> का पलकों से चुनता जाय है॥
1987-2017
{{KKMeaning}}
</poem>
अनिल जनविजय
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