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07:23, 11 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गौरीशंकर
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
ओ परेम
बरूट है कांई
आ चाव
बाखड़ी है कांई
आ अचपकी री मुळक
तुम्बै री बैल है कांई
सोधूं अर सोधतो रैवूं
ओ परेम है कांई।
</poem>
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