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पट / राजूराम बिजारणियां

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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अमूझतै बादळ री
कूख सूं

धरती पर आई
नान्ही सी छांट रै मिस

अलेखूं मूंढा माथै
पसरी मुळक...

खाण लागी गरणेटा
चिंतावा रै ओळै-दोळै

लारो-लार पड़ता
गड़ां री ‘पटां’ सूं।

</poem>
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