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05:02, 12 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजूराम बिजारणियां
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अमूझतै बादळ री
कूख सूं
धरती पर आई
नान्ही सी छांट रै मिस
अलेखूं मूंढा माथै
पसरी मुळक...
खाण लागी गरणेटा
चिंतावा रै ओळै-दोळै
लारो-लार पड़ता
गड़ां री ‘पटां’ सूं।
</poem>
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