779 bytes added,
05:11, 12 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजूराम बिजारणियां
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मुट्ठी में
जरू
दाब्योड़ी
जूण
छिणक में
सुरसुरा’र
बण जावै
रेत !
पानां री ओळ्या में
पळती प्रीत
जोड़’नै पानैं सूं पानो
हरयो करदयो
हेत!
फरक कांई ?
देख!
अेकै कानी
प्राण बिहुणा
दूजै कानी
म्है’क!!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader