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06:21, 25 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निर्मल कुमार शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=निरमल वाणी / निर्मल कुमार शर्मा
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<poem>
बडेरां सूं सुणतो हो
अेक नान्हो दिवलो
आंधड सूं भिडग्यो
आधड थाक्यो, बो कोनी थाक्यो
अर, इंधारा में उजास जाग्यो
कोमल मनडा घर करगी बात
फिर घिर आयी बा काळी रात
कैवत नै सांच समझ बैठयो
मनडै संकल्प री बाती बाळ
बो सांची दिवलो बण बैठयों
जद बगत री आंधी चाली
दिवलै री बाती हाली
बाती रो साथी बण ज्यूं-ज्यूं
आतमबळ आगै आयो
बै काळी-पीळी आंधियां भी
अपणो वेग बढायो
थाकी बाती जद निठग्यो तेल
यूं लाग्यो खतम हुयग्यो खेल
पण दिवलो अजै नही दूटयो
अर ना ही बाती हुई खतम
तेल करम अर बळ रो पूरियो
बै बळया, मिटियो नीं जद तक तम ।
</poem>