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08:39, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मोहन पुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
कालै मिल्यो हो
तू चौखूंटी माथै
चौखूंटी माथै
जोर-जोर सूं
बोकाड़ा फाड़तो
रोवतो थकां....
म्हूं कींकर
मैसूस रियो हूं
उण री चीख
अजै तांई म्हारा कानां में ?
</poem>
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