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16:29, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जितेन्द्र सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
बगत
मुट्ठी में पक्योड़ी रेत री तर्यां
तिसळज्यै
अर म्हूं हर गेड़ै
करल्यूं खुद सूं नवो वायदो
जिनगाणी केई बार तस्सली
अर कई बार गलतफहमी सूं
राजी होज्यै
सांची तो आ है
म्हैं पकड़्यो बगत नैं
कदैई कंवळै अर कदैई सख्त हाथां सूं
पण ओ मिल्यो हमेस ई
गरीब री झूंपड़ी
मजदूर रै पसीनै
का फुटपाथ माथै
फकीरी मांय गुणगुणावतै मिनखां रै मन
म्हूं डूबणों चाऊं
इणरै दरसण मांय।
</poem>
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