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सूरज मरकरी / हरीश हैरी

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|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
ऊपरलै
दिन में
चसाई
सूरज मरकरी
खूब बिल आयो!

रात नै
झिलमिल लाईटां रै साथै
चसायो
चाँद सी.एफ.एल.
आखी जिया जूण रै
ठंड बापरगी!
</poem>
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