560 bytes added,
17:00, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरीश हैरी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
ऊपरलै
दिन में
चसाई
सूरज मरकरी
खूब बिल आयो!
रात नै
झिलमिल लाईटां रै साथै
चसायो
चाँद सी.एफ.एल.
आखी जिया जूण रै
ठंड बापरगी!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader