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17:12, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमान प्रसाद बिरकाळी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
हांडी सूं निसर
गयो धरती री कूख
पाळया सुपना
फळीजण रा अलेखूं
हळवां-हळवां पांगरयो
काढया पानका
फूल काढ हांस्यो
खिड़ खिड़
खेत में
धोरी रै हेत में
लू रै नीं जंची
बाळ-सुका
रळा दियो रेत में।
</poem>
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