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07:01, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
खाली बातां ई बातां
हाका ई हाका
किणी काम री नीं
सोचण मांय काठा
चालण मांय माठा
लखणां रा लाडा
कूड़ रा गाडा
ना दीन, ना ईमान
पण नीं कैवावै बेईमान
बातां रा जाळ
लोगां खातर जंजाळ
हवा मांय उडता दीसै
नीं आवै हाथ
माथै सूं सपमपाट
जणै इज तो बडा कैवावै
लोग अैड़ा नाजोगां नै इज
नेता बणावै।
</poem>
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