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09:36, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
भाषा
पिराण
जड़ अर चेतन री
अरथावै
निराकार नै
करण साकार!
भाषा खूटै
रुळै
जड़-चेतन
चेतन-जड़
थकां आकार!
</poem>
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