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{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>

आभो
घर बादळ रो
सासरो बिरखा रो
बिरखा बीनणीं
आवै कियां
साव परबारी
मुरधर पीवरियै
बिनां भेज्यां।
</poem>
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