932 bytes added,
11:07, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आओ आपां
ऊंडा उतरां
सोधां आपणीं
जुगां जूनी जड़
सोध्यां तो
पकायत ई लाधसी
क्यूं कै आपां
जड़ बायरा तो
हा ई नीं कदैई।
बडेरा बतावै
रूंख भी
जूण है एक
चौरासी रै गेड़ री
स्यात नीं
पकायत ई
रूंख बडेरा है आपणां
रूंख री है तो
आपणीं भी है
पकायत ई जड़
सोध्यां लाधसी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader