Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
दुनिया बतावै पाप
पाप री नीं
खुद री कोई भासा - बोली
नीं कोई परिभासा
अेक पाप थारो
अेक पाप म्हारो
जद सागै हां
तो कियां हुया न्यारो -न्यारो
लोगां री निजरां मांय पाप
हुवै तो हुवै
उण पापी दुनिया री
थूं क्यूं सुणै
कैवण दै
कैवणिया कैवैला
जंवाई तो इयां ई जीमैला।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits