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11:12, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
टाबर
इस्कूल खुलै
तद रुणक बापरै
इस्कूलां री
नूंईं-नूंईं डे्रसां में
किलकारी मारता टाबर
हाँसता-खेलता टाबर
उछळता-कूदता टाबर
अमीर-गरीब
जात-पांत
अर चिंतावां संू दूर
जठै जावै टाबर
आपरी
सौरम फैलावै टाबर।
</poem>
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