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11:18, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
भैण-भाई
जद लडै़ आपसरी में
तद
मा-बापूजी कैवै
कै क्यूं लड़ै छोरी सूं
आ चली ज्यैगी
जद रोए करसी
याद कर’र
माया भी है
छोरी दांईं
पछै
क्यूं लड़ै भाई-भाई।
</poem>
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