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माया / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
भैण-भाई
जद लडै़ आपसरी में
तद
मा-बापूजी कैवै
कै क्यूं लड़ै छोरी सूं
आ चली ज्यैगी
जद रोए करसी
याद कर’र
माया भी है
छोरी दांईं
पछै
क्यूं लड़ै भाई-भाई।