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|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
ट्रक रै गोळ पहियां सूं
म्हैं काढ़ लेवां
टाबरां सारू रोटी।

कैड़ो सांतरो संजोग है-
पहियो अर रोटी
दोनूं गोळ हुवै।

रोटी जीम्यां पछै
म्हारा टाबर
रमण सारू
मांगै पहियो!
</poem>
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