भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रोटी जीम्यां पछै / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
ट्रक रै गोळ पहियां सूं
म्हैं काढ़ लेवां
टाबरां सारू रोटी।
कैड़ो सांतरो संजोग है-
पहियो अर रोटी
दोनूं गोळ हुवै।
रोटी जीम्यां पछै
म्हारा टाबर
रमण सारू
मांगै पहियो!