Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आखी उमर सोध्यां ई
सबदकोस में कोनी लाधै
प्रेम रै जोड़ रो कोई सबद।

पोथ्यां फिरोळ्यां कोनी सरै
जूण नैं खुद रचणी पड़ै-
प्रीत री परिभासा।

अेक बाटी आमरस
अेक-दूजै नैं पावण सारू
पाणी पीय'र डकार लेवण रो आंटो
कविता में कोनी कथीजै
फगत लखाव करीज सकै।

जवान हुयां
बोछरड़ो कोनी रैवै प्रेम
स्याणो-समझदार हुय जावै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits