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प्रेम री जवानी में / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
आखी उमर सोध्यां ई
सबदकोस में कोनी लाधै
प्रेम रै जोड़ रो कोई सबद।
पोथ्यां फिरोळ्यां कोनी सरै
जूण नैं खुद रचणी पड़ै-
प्रीत री परिभासा।
अेक बाटी आमरस
अेक-दूजै नैं पावण सारू
पाणी पीय'र डकार लेवण रो आंटो
कविता में कोनी कथीजै
फगत लखाव करीज सकै।
जवान हुयां
बोछरड़ो कोनी रैवै प्रेम
स्याणो-समझदार हुय जावै।