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10:55, 13 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़िन्दगी प्यार है लेकिन जो आप समझें तो।
एक उपहार है लेकिन जो आप समझें तो।
ये मोहल्ला, ये गली और ये शहर अपना,
एक परिवार है लेकिन जो आप समझें तो।
मन बहुत करता है भाई के कभी घर जाँयें,
एक दीवार है लेकिन जो आप समझें तो।
ख़ुद न जो कर सकें ईश्वर पे छोड़ दें उसको,
फिक्ऱ बेकार है लेकिन जो आप समझें तो।
बड़े आराम से हर चीज़ यहाँ बिकती है,
खुला बाज़ार है लेकिन जो आप समझें तो।
</poem>
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