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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
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<poem>
जा तुझे भी मिले खुशी कोई।
बात समझे तो दर्द की कोई।

मुझको अपना बना के बैठा है,
मेरे घर आ के अजनवी कोई।

सब्र करके मैं रह गया प्यासा,
पास बहती रही नदी कोई।

मुझको तेरे करीब लायी है,
मेरे भीतर की तश्नगी कोई।

दर्द ख़ुद ही जबाँ पे आता है,
यूँ ही कहता नहीं कभी कोई।
</poem>
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