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प्रदान / प्रेमराजेश्वरी
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09:26, 26 जुलाई 2017
फेरि समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
रोयो धुरूधुरू नीरवता ओस अश्रु सुकुमार
Sirjanbindu
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