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16:23, 20 अगस्त 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'
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<poem>
जय जुहार हो छत्तीसगढ़ भूईयाँ।
केलो नदी महतारी पखारे तोर पईयाँ।
धान के कटोरा हावस,
सबके दुःख मिटईया अस।
हावस दाई ते तो ओ,
सबके भूख मिटईया।
तोरे कोरा म दाई,
पाथन जीये के सहारा।
धन देवईया-यश देवईया,
हावस ते सुख देवईया।
</poem>
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