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{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
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<poem>
दौलत से तौले जाएंगे
औकात जब

आंकी जाएगी
उम्र भर की कमाई

अपने हिस्से में खड़े
चंद रिश्तों की महक लिए

ठुकराऊंगी दौलत

मेरी अमीरी का अंदाजा
अपनी जागती रातों में लगाना।
</poem>
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