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इज़्ज़तपुरम्-1 / डी. एम. मिश्र
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05:53, 28 अगस्त 2017
तो दाँत
अपनी जड़ों की
गीली मिट्टी/ और
कच्ची हरियालियों को
चबाने / और
बोझ / और भी
गरू पड़े
क्योंकि / ज्यादा देर
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