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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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<poem>
बिल्कुल
है नया माल
अभागिन
बेचकर रेवड़ियाँ
भरती थी पेट
पॉच हजार में
लिया पटा
उन दरिन्दों को
उड़ा लिया थे
जो उसे ट्रेन से
‘गुलाबबाई़’
उसका रखा है नाम
अम्मी ने बताया
बहराइची के बापू को
गुलाबी कयामत से
ठंडी सड़क
होगी फिर
गरमागरम और ताजा
</poem>