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अहसास / तुम्हारे लिए / मधुप मोहता
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08:54, 9 अक्टूबर 2017
तुम्हें आग़ोश में लें
किसी सपने की बाँहों में समेटें
बाँहांे
बाँहों
में समेटें तुम्हें
चलो फिर से समेटें।
</poem>
Sharda suman
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