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अलौकिक थी पहली छुअन / सुरेश चंद्रा
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11:07, 19 अक्टूबर 2017
<poem>
अलौकिक थी
...
पहली छुअन
निष्पाप, निश्छल
आद्र दृष्टि के साक्ष्य मे
अंतिम चुंबन तक
हम देह पर देहिल गंध
...
अनुबंध मात्र रह गये
अतृप्तता के अरण्य से
Anupama Pathak
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