816 bytes added,
04:43, 21 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एमिली डिकिंसन
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम बुझा नहीं सकते आग को
जला सकने वाली कोई चीज
बुझ सकती है खुद से ही, बिना किसी पंखे के
सबसे धीमी रात को भी.
ज्वार को लपेट कर
तुम रख नहीं सकते किसी दराज में
क्योंकि हवाओं को पता चल जाएगा उसका
और वे बता देंगी तुम्हारे देवदार फर्श को.
'''अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader